उसने कहा कैसे हो….?

उसे कसकर सिने लगाकर मैंने कहा

थोड़ी तकलीफ़ है तुम बिन,

थोड़ा गम है तुम बिन,

थोड़ी परेशानियाँ है तुम बिन,,,,

बाकी सब ठीक है ….!!!

चंद मुश्किलें हैं तुम बिन,

थोड़ी उलझन है तुम बिन,

थोड़ी बेचैनियाँ है तुम बिन,,

बाकी सब ठीक है. …..!!!

बस जी रहे हैं हम तुम बिन, या यूँ की,

रस्म अदायगी समझो इसे तुम बिन,

कुछ अड़चने है तुम बिन,

थोड़ी कठिनाइयाँ हैं तुम बिन,,,

बाकी सब ठीक है …..!!!

कहने को, यूँ तो, बहुत कुछ है कुछ बेबसी है तुम बिन, लेकिन

कुछ मजबूरियाँ हैं तुम बिन,,,

बाकी सब ठीक है …..!!!

हों अपने, या गैर, सब एक से हैं,

यहाँ धोखे हैं तुम बिन, वहाँ रुसवाईयाँ हैं तुम बिन,,

बाकी सब ठीक है ….!!!

समय की चोट से, दो हिस्सों में बँट गयां हैं अब तेरा मन मेरा मन …!!!

एक तरफ शोर बहुत है तुम बिन,

एक तरफ खामोशियां है तुम बिन,,,

बाकी सब ठीक है…!

बाकी सब ठीक हैं…!

हाथ रखना❤️

वो प्रेम करती है तुम्हें उसे सदा अपने साथ रखना उदास दिखे कभी तो होले से हाथ पर हाथ रखना

उसके दुःख में उसके लोगों के हाथ बंध जाएं गर तो उसके लिये तुम खुले अपने दोनों हाथ रखना

यूँ तो वो मुसीबत में कमजोर नहीं पड़ती है पर दिखें आंसू कभी तो आँखों पर अपने हाथ रखना

वो तन्हा न महमूस करे खुद को भीड़ में भी कभी निडर रहेगी बस उसके हाथों में अपना हाथ रखना

कहती रहती है हर बार एक यही बात मुझसे वो मेरी मांग पर सिंदूर लिये तुम ही अपना हाथ रखना

ये हवाएं भी कोशिश में हैं तेरी उम्मीद बुझाने को मित्र तू भी दिये के चारों ओर जमाए हाथ रखना…

माना इक कमी सी है,जिंदगी थमीं सी हैं!

जो छूट गया उसका क्या मलाल करें,
जो हासिल है,चल उस से ही सवाल करें !!

बहुत दूर तक जाते है, याँदो के क़ाफ़िले,
फिर क्यों पुरानी याँदो मे सुबह से शाम करें ।

माना इक कमी सी है,जिंदगी थमीं सी हैं,
पर क्यों दिल की धड़कनों को दर-किनार करें!!

मिल ही जाएगा जीने का कोई नया बहाना,
आ ज़रा इत्मीनान से किसी ख़ास का इंतज़ार करें !!

जिंदगी थम सी गई हैं!

मैं जिंदगी हूँ !

कल एक झलक ज़िंदगी को देखा, वराहों पे मेरी गुनगुना रही थी,
फिर ढूँढा उसे इधर उधर वो आंख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी
एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार, वो सहला के मुझे सुला रही थी
हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने, वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले तुझे जीना सिखा रही थी।

मौत से भी हसीन जिंदगी हूँ!

जगायच असत !

झाल गेलेल दुःख वळून कधी

सुख शोधण्यासाठीच तर पुढे

दुःखाचा डोंगर असेल तर सुखाचा क्षण पण असतो.

सुख दुःखाचे कोठार फक्त एक मनच असते.

बघायच नसत जगायच असत! क्षणाचेच जिवन बनवायच असत सुख शोधण्यासाठीच तर……… दुःखाचा डोंगर असेल तर सुखाचा सागर पण असतो छोट्याश्या डोंगरा आड एक विशाल सागर असतो डोंगर चढतांना कधी हरायच नसत सुख शोधण्यासाठीच तर… थेंबा थेंबाचा सागर बनतो तर क्षणा क्षणाचा दिवस दिवसाचे मग वर्ष बनते तर वर्षाचेच आयुष्य क्षणाला कधी विसरायच नसत सुख शोधण्यासाठीच तर ……..

दुःख

ना जाने ये कैसा डर है ना जीने देता है, ना मरने दे रहा है ये वक्त भी मेरे खिलाफ हो गया है। मुझेसे हर एक नाता तोड़ रहा है फिर भी मैं हार नहीं मानूंगा अपने कदमों को आगे बढ़ाता रहूंगा जब तक मेरी सांसो में जान है मैं अपनी ख्वाहिशों के लिए लड़ता रहूंगा…

शाम की तरह हम ढलते जा रहे है

शाम की तरह हम ढलते जा रहे है,
बिना किसी मंजिल के चलते जा रहे है।
लम्हे जो सम्हाल के रखे थे जीने के लिये ,
वो खर्च किये बिना ही पिघलते जा रहे है।

धुये की तरह विखर गयी जिन्दगी मेरी हवाओ मैं,
बचे हुये लम्हे सिगरेट की तरह जलते जा रहे है।

जो मिल गया उसी का हाथ थाम लिया,
हम कपडो की तरह हमसफर बदलते जा रहे है।

मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर

तू जिंदगी को जी
उसे समझने की कोशिश न कर

सुंदर सपनो के ताने बाने बुन
उसमे उलझन की कोशिश न कर

चलते वक्त के साथ तु भी चल
उसमें सिमटने की कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बाते भगवान पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर

जो मिल गया उसी में खुश रह
जो सूकून छीन ले वो पाने कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का लुफ्त उठा
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर।

जिंदगी की इस आपाधापी में

जिंदगी की इस आपाधापी में,
कब जिंदगी की सुबह से शाम हो गई,
पता ही नहीं चला।

कल तक जिन मैदानों में खेला करते थे,
आज वो मैदान नीलाम हो गए,
पता ही नहीं चला।

कब सपनों के लिए,
सपनों का घर छोड़ दिया पता ही नहीं चला।

किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा है….

जिंदगी में दो मिनट कोई मेरे पास ना बैठा, आज सब मेरे पास बैठे जा रहे हैं..
कोई तोहफा ना मिला आज तक, और आज फूल ही फूल दिए जा रहे हैं…
तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए, और आज कन्धे पे कन्धे दिए जा रहे थे….
दो कदम साथ चलने को तैयार ना था कोई, और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे…
आज पता चला की मौत कितनी हसीन थी,
कम्बख़्त हम तो यूँ ही जिंदगी जिये जा रहे थे….

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