उसे कसकर सिने लगाकर मैंने कहा
थोड़ी तकलीफ़ है तुम बिन,
थोड़ा गम है तुम बिन,
थोड़ी परेशानियाँ है तुम बिन,,,,
बाकी सब ठीक है ….!!!
चंद मुश्किलें हैं तुम बिन,
थोड़ी उलझन है तुम बिन,
थोड़ी बेचैनियाँ है तुम बिन,,
बाकी सब ठीक है. …..!!!
बस जी रहे हैं हम तुम बिन, या यूँ की,
रस्म अदायगी समझो इसे तुम बिन,
कुछ अड़चने है तुम बिन,
थोड़ी कठिनाइयाँ हैं तुम बिन,,,
बाकी सब ठीक है …..!!!
कहने को, यूँ तो, बहुत कुछ है कुछ बेबसी है तुम बिन, लेकिन
कुछ मजबूरियाँ हैं तुम बिन,,,
बाकी सब ठीक है …..!!!
हों अपने, या गैर, सब एक से हैं,
यहाँ धोखे हैं तुम बिन, वहाँ रुसवाईयाँ हैं तुम बिन,,
बाकी सब ठीक है ….!!!
समय की चोट से, दो हिस्सों में बँट गयां हैं अब तेरा मन मेरा मन …!!!
एक तरफ शोर बहुत है तुम बिन,
एक तरफ खामोशियां है तुम बिन,,,
बाकी सब ठीक है…!
